जय मेवाड़

वीरों की भूमि मेवाड़ को शत शत नमन

Breaking News

For Support and Donation : Phone Pay : 9785416632 PayTm : 9785416632

बुधवार, 13 दिसंबर 2017

भाग - 44 मेवाड़ का इतिहास - सन 1473 - 1509 ईस्वी. महाराणा रायमल | Maharana Raymal |





भाग 44 - मेवाड़ का इतिहास

महाराणा रायमल   

महाराणा रायमल  का जन्म 

 


सन 1473 में जन विद्रोह ने उदा को सिंहासन से उखाड़ फेंका और रायमल को राजा के रूप में मान लिया | अब रायमल को लेने के लिए मेवाड़ के सभी सरदार व सामंत इडर पंहुचे और रायमल को चित्तोर्गढ़ लाकर राज्याभिषेक कर दिया  अब मेवाड़ का सारा भार राणा रायमल पर आ चूका था |
मेवाड़ नरेश महाराणा रायमल की पटरानी का नाम रतन कँवर था |   रायमल ने कुल ग्यारह विवाह किये थे उनमे से रतन कँवर पटरानी थी और रायमल रतन कँवर से अधिक प्रेम करते थे | रतन कँवर ने युवराज दिया जिसका नाम प्रथ्वीराज  था | फिर रानी वीर कँवर ने एक पुत्र जयमल को जन्म दिया | इसी तरह अगले वर्ष फिर से रानी रतन कँवर ने एक पुत्र संग्राम सिंह को जन्म दिया | इस तरह जयमल के प्रमुख तीन पुत्र हुए | सूरजमल उदयसिंह(उदा ) का  बड़ा बेटा था उसने जयमल के मन में कुटिल विचार भर दिए | इसी वजह संग्राम सिंह, पृथ्वीराज और जयमल में उत्तराधिकारी हेतु कलह हुआ और अंततः दो पुत्र मारे गये। अन्त में संग्राम सिंह गद्दी पर गये। रायमल ने राव जोधा की बेटी शृंगारदेवी से विवाह करके राठौरों से शत्रुता समाप्त कर दी। रायमल ने रायसिंह टोडा और अजमेर पर पुनः अधिकार कर लिया। उन्होने मेवाड़ को भी शक्तिशाली बनाया तथा चित्तौड़ के एकनाथ जी मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। 

उदा ने मांडू के सुल्तान के साथ मिल कर मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया लेकिन महाराणा रायमल की सूझबूझ से सुल्तान के मंसूबो पर पानी फिर गया | उदा की मृत्यु बिजली घिरने से हो गयी शर्त के अनुसार दोनों उदा के पुत्र मान गए और पुनः मेवाड़ पर आक्रमण करने के लिए तैयार हो गए | सुल्तान गयासुद्धीन ने महाराणा रायमल को धमकी भरा पत्र भेजा | लेकिन महाराणा ने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि गांव गांव घूम कर राजपूतो को एकत्र करने लगे | इस तरह रायमल किसी भी खतरे से निपटने के लिए तैयार थे |

 महाराणा ने उदा के दोनो पुत्रो को बुलाकर समझा दिया | और कहा की शत्रु की हर खबर से अवघट कराओ | इस तरह  रायमल ने शत्रु के खेमे में सेन्द लगाकर हर गतिविधि पर नजर रखी | अतः ग्यासुद्धीन ने चित्तोर्गढ़ के चारो और डेरा डाल दिया | पर रायमल तो पहले से तैयार थे | जैसे ही शत्रु सेना पड़ावडाल कर सोने लगी | महाराणा रायमल ने आक्रमण कर दिया | शत्रु सेना में अफरा तफरी मच गयी | सारे सैनिक भागने लगे | रायमल ने मांडू के किले तक उसका पीछा किया लेकिन किले में प्रवेश नहीं किया |


महाराणा रायमल का राज्यकाल(1473 - 1509  ईस्वी)

महाराणा रायमल के युद्ध

मृत्यु

 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें